तीन दोहे
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हारी पुस्तक पोथियां,जीत गया हथियार।
ब्यर्थ तपस्या प्रेम का, ढूंढ रहा पतवार।।१।
कविता रोटी दे नही, फिर भी कविता गान।
कवि का कैसा रोग यह, करता नित हैरान।।२।
“प्यासा”प्यासा क्यों हुये,पूछ रहे सब लोग।
प्यास भरी यह जिन्दगी, कौन बतावे रोग।।३।
–“प्यासा”