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25 Jul 2019 · 1 min read

डाकबाबू

डाकबाबू

जब भी आता था
डाक बाबू
लिए हुए डाक
मुहल्ले भर की
उत्सुकतावश
हो जाते थे एकत्रित
उसके चारों ओर
मुहल्ले भर के लोग
करते थे चेष्टा
जानने की
किसकी आई है चिट्ठी
आजकल तो
लाता है डाकबाबू
कोई न कोई नोटिस
या मोबाइल का बिल
प्रेम-पत्र या सुख संदेश
लाने वाली
चिट्ठियों का
कत्ल कर दिया
मोबाइल व लैपटॉप ने

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
Tag: कविता
276 Views
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