*ट्रस्टीशिप 【कुंडलिया】*

*ट्रस्टीशिप 【कुंडलिया】*
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धन के ट्रस्टी बन रहें , गाँधी जी की सीख
राष्ट्र हेतु कर्तव्य यह ,नहीं किसी को भीख
नहीं किसी को भीख ,धनिक धन रखें अमानत
समझें खुद को आम , लोकहित में हों नित रत
कहते रवि कविराय , भाव हों अपनेपन के
मिटें समूचे क्लेश ,धनिक यदि ट्रस्टी धन के
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*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99976 15451*