*जी लो ये पल*
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क्यों सोचता है इंसान बरसों का
जब पता नहीं है उसे परसों का
अगले ही पल क्या होगा, कोई जानता नहीं
क्या करना फिर सोचकर बरसों का
क्यों याद करता है इंसान बीती बातों को
जब पता है उसे वो अब बदलेंगी नहीं
उन्हें याद करता रह गया तो
जो ज़िंदगी बाकी है वो भी रहेगी नहीं
वर्तमान ही जीवन है ये भूलना नहीं
सवांरेगा यही कल हमारा ये भूलना नहीं
सपनों के महल कुछ करके ही बन पाएंगे
बिना डाले तवे पर रोटी भी पकती नहीं
क्यों करें चिंता फिर भविष्य की हम
दुख मनाकर पुरानी बातों का भी कुछ होगा नहीं
जियें खुशी से जो पल मिले हैं हमें मानकर ये,
मिला है जो हमें उससे बेहतर कुछ होगा नहीं
है जीवन की खुशी तो पास तेरे
उसे इधर उधर तू ढूंढना नहीं
आ जाए कभी मुसीबत भी अगर
सामना करना उसका, तू आंखें मूंदना नहीं
तेरा हौंसला ही है ताकत तेरी
तू कभी अपना हौंसला छोड़ना नहीं
आएंगे कई इम्तिहान इस जीवन में
तू कभी अपनों का साथ छोड़ना नहीं
जी लो ये पल जो मिले हैं अभी
कल का तो किसी ने देखा नहीं
लौटा दे तुम्हें बीते हुए लम्हें भी
किसी के हाथ में ऐसी तो रेखा नहीं।