जीवन संगीत
जीवन संगीत
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सुंदर सुमन के उपवन में
मधुपों का गुंजन करना
नीले नभ में निर्भीक हो
पंछी का कलरव करना
इससे भी संगीत निकल कर आता है
मानव जीवन को झंकृत कर जाता है।
टिप – टिप वसुधा पर
वर्षा बूंदों का गिरना
झुरमुट में पवन के संग
हिलना बांसों का भिड़ना
इससे भी संगीत निकल कर आता है
मानव जीवन को झंकृत कर जाता है
वन उपवन की खामोशी
तोड़ पवन का सनसनाना
वसंत ऋतु में कोयल का
कु कु कर मधुरिम गाना
इससे भी संगीत निकल कर आता है
मानव जीवन को झंकृत कर जाता है
सस्नेह दुध पिलाते
गायों का वह रम्भाना
नदियों की बहती धारा का
स्वर कलकल वह सुहाना
इससे भी संगीत निकल कर आता है
मानव जीवन को झंकृत कर जाता है।
बैलों के गरदन में बांधी
वह छोटी सी घंटी
तबले पर सुर ताल सजाता
अलगु चाचा का बंटी
इससे भी संगीत निकल कर आता है
मानव जीवन को झंकृत कर जाता है
बारिश में उस मेघ दामिनि
का तड़- तड़ तड़तड़ाना
वर्षा काल में पिले मेढ़क
का ऊचें स्वर में टरटराना
इससे भी संगीत निकल कर आता है
मानव जीवन को झंकृत कर जाता है
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार……८४५४५५