जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
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जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
आगे पीछे नहीं दुनिया के संगसंग चलना पड़ेगा|
पथरीली राहों में भी लड़खड़ाकर संभलना पड़ेगा,
जिंदगी के सांचे में, जिंदगी के अनुरूप ढलना पड़ेगा|
वरना ये दुनिया तुम्हें ठोकर मारकर गिरा देगी,
कदम से कदम मिलाते हुए रफ़्तार पकड़ना पड़ेगा
द्वेष को निकाल फेंको, ये मनुष्यता को खा जाती है,
नही तो क्रोध के आंच से ,अंदर ही अंदर पिघलना पड़ेगा|
ऊजाले की चाह रखते हो,तो प्रवात् से लड़ना सीखो,
अंधियारी रात में, शनैः शनैः दीये की तरह जलना पड़ेगा|
_ सुलेखा
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