जिस बस्ती मेंआग लगी है
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जिस बस्ती मेंआग लगी है
पानी पानी है
प्रेमनगर में
बस नफरत है
और बेईमानी है
भीड़ तो है
हर एक घर में
कौन कहानी कहता है
मरघट सा सन्नाटा लेकर
बुढ़िया नानी है
धन के मुख को
काला करके
कैद किया बेईमानों ने
लेकर भूख गरीबी
अब तो राजा रानी है
मानवता है
एक भिखारी
हैवानों की गलियों में
इंसानो का रूप किताबी
एक कहानी है
शर्म भी अब
बेशर्म हुआ
जल्लादों की आ जद में
सुन्दर परदों में भी नंगा
अब स्वाभिमानी है