ज़िंदगी को अगर स्मूथली चलाना हो तो चु…या…पा में संलिप्त
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ज़िंदगी को अगर स्मूथली चलाना हो तो चु…या…पा में संलिप्त रहने वालों का कहीं न कहीं आपको साथ पाना ही पड़ेगा, क्योंकि ज़िंदगी का मूल और अंतिम फलसफा यही रहना है – जाहि विधि राखे चुति… न, ताहि विधि रहिए!
मानव–ज़िंदगी महज़ वसूलों और नैतिकता से नहीं चलती।