जनतंत्र में

जनतंत्र में, जनता का ही राज होता है।
जनता द्वारा ही, सिर पे ताज होता है।।
जनतंत्र में —————————।।
जनतंत्र विरोधी, जब होता है शासक।
बदल देती है तब, जनता वह शासक।।
जब शासक पे, जनता को नाज होता है।
जनता द्वारा, उसके सिर पे ताज होता है।।
जनतंत्र में ————————-।।
सभी शासक आदर करें, जनतंत्र का।
नहीं अपमान करें कभी, जनतंत्र का।।
जब जनादेश से, सारा काज होता है।
तब जनता का ही , सच राज होता है।।
जनतंत्र में —————————–।।
रहे जिंदा जनतंत्र , अपने देश में।
होगा जनता का राज, तब देश में।।
जनतंत्र जनता की, आवाज होता है।
जनतंत्र में जनता का, ताज होता है।।
जनतंत्र में —————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार –
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)