जंजीरों मे जकड़े लोगो
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ग़ज़ल
जंजीरों में जकड़े लोगो।
पाखंडों को पकड़े लोगो।।
लूटें पीटें तुझे दूसरे,
आपस में हो अकड़े लोगो।।
संख्या भारी होकर भी तुम,
झेल रहे हो पचड़े लोगो।।
मानव-मानव में भेद किया,
बना दिए हो पिछड़े लोगो।।
फूट मारती आपस की ही,
संख्याबल में तगड़े लोगो।।
‘सिल्ला’ टूटा भाई-चारा,
आपस में क्यों झगड़े लोगो।।
-विनोद सिल्ला