*चाय (कुंडलिया)*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/7b159ca00a584f95a7ab4ab1946617a6_c599097143f5e2683bb9df154a5f9eb5_600.jpg)
चाय (कुंडलिया)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
पहले कप से चाय के ,खुलती कहाँ खुमार
चस्का जिसको लग गया ,पीता है दो बार
पीता है दो बार , दूसरा चषक जगाता
पेय चाय क्या वाह , पात्र मस्ती ले आता
कहते रवि कविराय ,जमाना कुछ भी कह ले
सुबह चाहिए चाय ,नहाकर सबसे पहले
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
“”””””””””””””””””””””””””””””'”””‘”””””””””””
चषक = प्याला