“चंदा मामा, चंदा मामा”
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चंदा मामा,चंदा मामा,
घर जल्दी आओ ना,
फैला है अंधियारा ,
देखो! दूर भगाओ ना,
खूबसूरत वादियों में अपने,
हमें भ्रमण कराओ ना,
चंदा मामा, चंदा मामा,
घर जल्दी आओ ना !1
तुम तो खेलने लगते हो शायद,
रास्ते में “गूगल” के संग,
कहां जा, छुप जाते हो?
कर देते हो आजादी भंग,
भूल जाते हो क्या अपनी डगर ?
आकर स्वेत रोशनी बिछाओ ना,
चंदा मामा, चंदा मामा,
घर जल्दी आओ ना !2
कभी जल्द लौट आते हो घर,
कभी देर रात जगाते हो,
कभी विशाल रूप धर लेते हो,
कभी चंद्र हार बन जाते हो,
अब छोड़ सारे ज़िद,आकर छत पर,
“प्रिंसी” को गाकर लोरी सुलाओ ना,
चंदा मामा, चंदा मामा,
घर जल्दी आओ ना !3
राकेश चौरसिया