Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2023 · 2 min read

घर हो तो ऐसा

लघुकथा

घर हो तो ऐसा

“दामाद जी, आखिर आपने उस घर में ऐसा क्या देखा कि अपनी बेटी के रिश्ते के लिए तुरंत हामी भर दी ?” शर्मा जी से उनके ससुर जी ने पूछा।
“पापा जी, उस घर में जहाँ मैंने आपकी नवासी का रिश्ता तय किया है, वहाँ बच्चों का बचपन और बड़ों का बड़प्पन दोनों ही सुरक्षित हैं। आज के समय में ऐसे परिवार दुर्लभ हैं।” शर्मा जी ने बताया।
“आपकी बात मैं ठीक से समझा नहीं बेटा।” ससुर जी ने जिज्ञासावश पूछा।
“पापा जी, हमारे होने वाले दामाद जी से तो आप सभी भलीभांति परिचित हैं। कल हमने लगभग पाँच घंटे उनके घर में बिताए। हमने देखा कि हमारे भावी समधी जी के परिवार में उनके पिता जी की ही चलती है। उनके दोनों बेटे व्हीलचेयर पर रहनेवाले अपने पिता जी की हर बात अक्षरशः मानते रहे। उनकी पत्नी अपनी बड़ी बहू के साथ लगभग पूरे समय किचन में लगी रहीं। दोनों छोटे बच्चे ज्यादातर समय अपने दादाजी और चाचाजी याने हमारे भावी दामाद जी से चिपके रहे। उनके घर की दीवारें बच्चों के लिए उपयोगी वर्णमाला, अल्फाबेट, गिनती, चार्ट से पटा हुआ है। वरना आजकल लोग फैशनेबल और दिखावे के चक्कर में घर में बड़ों और बच्चों के लिए कहाँ स्पेस रखते हैं ? इसलिए मुझे लगा कि हमारी परी के लिए वह परफेक्ट घर साबित होगा।”
ससुर जी ने शर्मा जी की ओर प्रशंसाभरी नजरों से मुस्कुराते हुए देखा। आँखें मानों कह रही हों, “पच्चीस साल पहले मैंने भी ऐसे ही एक परफेक्ट परिवार और युवक का चुनाव अपनी बेटी के लिए किया था।”
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

178 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पता नहीं कब लौटे कोई,
पता नहीं कब लौटे कोई,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
24/01.*प्रगीत*
24/01.*प्रगीत*
Dr.Khedu Bharti
प्रजातन्त्र आडंबर से नहीं चलता है !
प्रजातन्त्र आडंबर से नहीं चलता है !
DrLakshman Jha Parimal
ପରିଚୟ ଦାତା
ପରିଚୟ ଦାତା
Bidyadhar Mantry
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
gurudeenverma198
■ स्वाद के छह रसों में एक रस
■ स्वाद के छह रसों में एक रस "कड़वा" भी है। जिसे सहज स्वीकारा
*प्रणय प्रभात*
सुख - डगर
सुख - डगर
Sandeep Pande
रिश्ते फीके हो गए
रिश्ते फीके हो गए
पूर्वार्थ
पैमाना सत्य का होता है यारों
पैमाना सत्य का होता है यारों
प्रेमदास वसु सुरेखा
★गहने ★
★गहने ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
विडम्बना
विडम्बना
Shaily
****मतदान करो****
****मतदान करो****
Kavita Chouhan
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
🤔🤔🤔समाज 🤔🤔🤔
🤔🤔🤔समाज 🤔🤔🤔
Slok maurya "umang"
ख़ुमार है
ख़ुमार है
Dr fauzia Naseem shad
तुम हो कौन ? समझ इसे
तुम हो कौन ? समझ इसे
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हम जियें  या मरें  तुम्हें क्या फर्क है
हम जियें या मरें तुम्हें क्या फर्क है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"मत भूलना"
Dr. Kishan tandon kranti
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अतिथि
अतिथि
surenderpal vaidya
*माटी कहे कुम्हार से*
*माटी कहे कुम्हार से*
Harminder Kaur
जिंदगी में सिर्फ हम ,
जिंदगी में सिर्फ हम ,
Neeraj Agarwal
गर्मी
गर्मी
Dhirendra Singh
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वो चिट्ठियां
वो चिट्ठियां
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
सुनें   सभी   सनातनी
सुनें सभी सनातनी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हे पैमाना पुराना
हे पैमाना पुराना
Swami Ganganiya
Loading...