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19 Oct 2016 · 1 min read

गुरु प्रणाम ::: जितेन्द्र कमल आनंद ::घनाक्षरी ( पोस्ट६०)

ऊँ सद्गुरु परमात्मने नमः

अखण्ड मण्डल में जो व्याप्त हैं साकार हुए
प्रेम की जोमूर्ति हैं , दिव्य जिनके नाम हैं ।
अज्ञान के तिमिरांध में हैं ज्ञान की श्लाका – से
दिव्य नेत्र के प्रदाता ,छविके दो धाम हैं ।
सद् विप्ररूपदाता ब्रह्मके समान हैं जो —
पालक विष्णु समान , शिव – से निष्काम हैं ।
सच्चिदानंद स्वरूप उन पद्म चरणों में
ऐसे मेरे अपने सदगुरुको प्रणाम| हैं ।।घनाक्षरी।।

—— जितेन्द्र कमल आनंद

Language: Hindi
292 Views

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