गुरु प्रणाम ::: जितेन्द्र कमल आनंद ::घनाक्षरी ( पोस्ट६०)
ऊँ सद्गुरु परमात्मने नमः
अखण्ड मण्डल में जो व्याप्त हैं साकार हुए
प्रेम की जोमूर्ति हैं , दिव्य जिनके नाम हैं ।
अज्ञान के तिमिरांध में हैं ज्ञान की श्लाका – से
दिव्य नेत्र के प्रदाता ,छविके दो धाम हैं ।
सद् विप्ररूपदाता ब्रह्मके समान हैं जो —
पालक विष्णु समान , शिव – से निष्काम हैं ।
सच्चिदानंद स्वरूप उन पद्म चरणों में
ऐसे मेरे अपने सदगुरुको प्रणाम| हैं ।।घनाक्षरी।।
—— जितेन्द्र कमल आनंद