गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
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गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
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गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई,
साध संगत को सवा लाख बधाई।
सर्वत्र व्याप्त ईश्वर सर्वशक्तिमान है,
लोक सेवा की सदा शिक्षा सिखाई।
नानक की वाणी वैराग्य से भरी है,
भक्ति और ज्ञान से भरपूर भरपाई।
गुरु का सिमरण है मन को टिकाए,
मेहनत और ईमानदारी की कमाई।
लोभ लालच की सदा वृति बुरी है,
सदा खुश रहने की तरकीब बताई।
तेरह ही तेरह खुशियों का खजाना,
जन लोक सेवा में खुद की भलाई।
रब का बंदा मनसीरत गुरु उपासक,
बुरे कर्म की कभी होती नहीं बड़ाई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)