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15 Mar 2017 · 1 min read

** गीतिका **

जिंदगी लगती कभी सीधी तो,कभी आरी है।
पूरी जिन्दगी इस गुत्थी को समझना भारी है।
*
डुबकी लगाना ही पड़ता है इस ऊहापोह में,
साथ हमारे रहता हमेशा वक्त की सवारी है।
*
कभी दर्द को दफन करके है हँसना पड़ता,
तो कभी बेमतलब ही हँसना रहता जारी है।
*
वक्त जाया मत करो इसको समझने में तुम
चलते चलो ये वक्त न हमारी है न तुम्हारी है।
*
कहे पूनम उलझे रहते हम इसे सुलझाने में,
यही गुत्थी कहाये जिंदगी की जिम्मेदारी है।
@पूनम झा
कोटा राजस्थान

1 Like · 300 Views

Books from पूनम झा 'प्रथमा'

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