ग़ज़ल

#ग़ज़ल
वज़्न – 2122 – 1122 – 1122 – 22/112
प्यार कर होश में वादा है सँवर जाओगे
प्यार से यार के दिल में भी उतर जाओगे/1
सादगी भूल अहंकार न करना जानाँ
तुम भी इक ख़्वाब हो पल भर में बिखर जाओगे/2
ज़िंदगी गीत लिए साज लिए मिलती है
गुनगुनाकर तो इसे ख़ूब निखर जाओगे/3
आपके दीद से क़िरदार हमारा महके
तुम बनाकर यूँ हमें यार बशर जाओगे/4
फ़ैसले दाद भरे हैं जो किए हैं तुमने
कर सभी के यूँ दिलों में तो असर जाओगे/5
ये मुलाकात कभी भूल नहीं सकता हूँ
मैं चलूँगा भी उधर तुम ले जिधर जाओगे/6
आपकी रूह से नाता है हमारा ‘प्रीतम’
छोड़कर राह में हमको भी किधर जाओगे/7
#आर.एस. ‘प्रीतम’