#ग़ज़ल

#ग़ज़ल
#वज़्न- 1212 – 1122 – 1212 – 22/112
करो कभी तो मुहब्बत हमें क़रार मिले
यूँ ज़िंदगी को ख़ुशी यार बे-शुमार मिले/1
ख़ुदा सभी की दुआएँ क़बूल प्यार भरी
चमन को फूल वतन को नयी बहार मिले/2
अज़ीज़ आप-सा कोई नहीं लगा मुझको
भले सफ़र में मुझे लोग तो हज़ार मिले/3
तू ज़िंदगी में सलामत रहे वक़ार लिए
तुझे मुक़ाम ज़माने में ज़ोरदार मिले/4
सभी दिलों पे असर जो करे वसीम हुआ
ख़ुदा मुझे भी वही इक ज़ुदा विचार मिले/5
न दूरियाँ हों दिलों में न भेद शिकायत ही
मिला-मिला-सा खिला हर यहाँ दयार मिले/6
बड़ी हसीं है जवानी नशा लिए आँखें
तुझे मिले जो कभी दिल ग़ुमान हार मिले/7
#आर. एस. ‘प्रीतम’
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