गलतफहमी है दोस्त यह तुम्हारी

गलतफहमी है दोस्त यह तुम्हारी, उम्मीद ऐसी अब तुम मत करो।
आऊँगा लौटकर तेरी दर फिर से, आशा यह अब तुम मत करो।।
गलतफहमी है दोस्त यह ——————————।।
क्या मुझको कभी तुमने इज्जत दी,याद तेरी मुझको जो आयेगी।
तारीफ क्या कभी की तुमने मेरी,मुझको बहुत तू जो तड़पायेगी।।
मैं बेच दूँ इज्जत तेरे लिए अपनी, आशा यह अब तुम मत करो।
गलतफहमी है दोस्त यह——————।।
क्या है कमी मुझमें तुम यह बताओ,कि मैं गुलामी तेरी करूँ।
तुमसे हसीन बहुत और भी है, तारीफ किसलिए तेरी करूँ।।
मैं तोड़ दूँ रिश्तें तेरे लिए सबसे, आशा यह अब तुम मत करो।
गलतफहमी है दोस्त यह——————–।।
मेरी तरह सुखी तुम नहीं होगी, बेचेगी तू तो शौहरत अपनी।
लुटायेगी अपनी खुशियां दौलत के लिए, खो देगी तू तो शान अपनी।।
करके रहम तेरी मदद मैं करुंगा, आशा यह अब तुम मत करो।
गलतफहमी है दोस्त यह ——————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847