कैसे जीने की फिर दुआ निकले
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दर्द के ऐसे सिलसिले निकले ।
सारे एहसास बे’ ज़ुबाँ निकले ।।
टूट कर जब कोई बिख़र जाए ।
कैसे जीने की फिर दुआ निकले ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
दर्द के ऐसे सिलसिले निकले ।
सारे एहसास बे’ ज़ुबाँ निकले ।।
टूट कर जब कोई बिख़र जाए ।
कैसे जीने की फिर दुआ निकले ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद