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2 Jun 2023 · 1 min read

“कूँचे गरीब के”

गरीबी की खान है,देखो जरा करीब से,
अमीरों की शान है,देखो जरा नसीब से।

दया नही आती दुनिया को गरीबों पर,
धूप ताप सहकर खेतों में हल चलाते हैं।

सर्द की रातोँ में भी ,अन्न को बचाते हैं,
अन्न को उपजाते हैं और बाजार तक पहुचाते हैं।

धूप ताप वो सहते हैं,
तब जाकर हम भोजन पाते हैं।

आराम नही वो कर पाते ,
तब जाकर अन्न उगाते हैं।

किसान अमीरों के दाता है ,
गरीब होकर भी अमीरों के पेट पालता हैं।

देखो उन्हें गौर से,दया करो उनपे,
पैसा रखकर जेब मे अन्न नही तुम पाओगे।

जब तक गरीब हाथ ना लगायेगे,
तुम भूखे ही रह जाओगे, पेट नही पल पायेंगे।

गरीब पर उपकार करो ,
उनको तुम स्वीकार करो।

वरना कुछ ना कर पाओगे ,
भूखें ही रह जाओगे।

ताकत कहा से पाओगे,
जब किसान को नही अपनाओगे।

पैसे वाले पैसा बहुत कमाओगे,
क्या पैसे को तुम खाओगे?

जो खाने को अन्न और रहने को घर तक बना देते हैं,
खुद खाली पेट और बेघर होकर भी सो जाते हैं।

“जय हो गरीबों की जय हो किसानो की”

लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️

Language: Hindi
2 Likes · 78 Views
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