की तरह
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चल फिर इक बार मिलें हम तुम पहली बार की तरह।
हवा ख़िज़ाँ की बसें फिर शब-ए-बहार की तरह।
मैं हूँ भी और नहीं भी गजब अहसास है ये
रुकी हुई हूँ सफ़र में तिरे इंतिजार की तरह।
ये मोहब्बत का जुनूं जिसके भी सिर चढ़कर कर बोले
दिन -ब-दिन बढ़ता ही जाएगा मियादी बुखार की तरह।
निगाह आप से कुछ इस तरह थी मिली ‘नीलम’
कृष्ण -राधा की मुहब्बत के इख़्तियार की तरह ।।
नीलम शर्मा ✍️