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29 Mar 2017 · 1 min read

कितना बेबस, कितना दीनहीन लाचार

?????
कितना बेबस,कितना दीनहीन लाचार,
सामने कटोरा, गोद में बच्चा बिमार।

उफ,ऐ दाता!कैसी किस्मत की मार,
भाग्य में सिर्फ जिल्लत और तिरस्कार।

नित धृणा भरी दृष्टि,लोगों की दुत्कार,
हाथ जोड़कर बैठे मुश्किल से थकहार।

ना कोई छत सहारा ना कोई घर द्वार,
खुलीआकाश के नीचे जीवन रहे गुजार।

भूखे पेट बेहाल,फटे कपड़े जार-जार,
नम आँखों में दिखती मजबूरी की धार।

झुकते गिड़गिड़ाते,हाथ फैलाते बार-बार,
नितआत्मसम्मानऔर स्वाभिमान को मार।

हे ईश्वर सुन करूणा भरी इनकी पुकार
कटे कलेजा छलनी सुन इनकी चित्कार।
?????—लक्ष्मी सिंह ??

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Comment · 300 Views

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