Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2023 · 3 min read

कालजयी जयदेव

कभी हुआ ना तृप्त जो, नाम बड़ा जयदेव
सरस्वती के पुत्र को, सब मानें गुरुदेव

अभिनय से अनुराग था, दौर रहा चालीस
पहचान नहीं बन सकी, सदा रही यह टीस

गीत डेढ़ सौ मात्र ही, छोड़ी पर वो छाप
संगीत जगत में सदा, याद रहेंगे आप

तीन मिले जयदेव को, राष्ट्रीय पुरस्कार
इससे ज़्यादा के रहे, वह सदैव हक़दार

जन्मे तीन अगस्त को, वर्ष रहा उन्नीस
संगीत क्षेत्र में सदा, जयदेव रहे बीस

सत्तासी–छह जनवरी, किया देह का त्याग
लेकिन जीवन से कभी, न मोह था अनुराग

इक लावारिस की तरह, जली संत की लाश
ताउम्र रही थी जिसे, हर पल नई तलाश

गुरुवर बरकत राय से, ली सुर की तालीम
उस्ताद अली खां रहे, व्यक्तित्व इक अजीम

सीखी जब बारीकियाँ, दिया फ़िल्म संगीत
एक से एक कर्ण प्रिय, ख़ूब दिये यूँ गीत

कालजयी जयदेव का, अजर-अमर संगीत
याद रहेगा विश्व को, ना बिसरेगा गीत

साहित्य काव्य में किए, धुन के नए प्रयोग
मधुशाला की मधुरता, अद्भुत सुखद संयोग

***

_________________________
(1.) जयदेव का जन्म 3 अगस्त, 1919 ई को नेरोबी, केन्या में हुआ था। बाद में ये लुधियाना आ गये, जहाँ इनका बचपन गुजरा। इनका पूरा नाम जयदेव वर्मा था। जयदेव प्रारंभ में फ़िल्म स्टार बनना चाहते थे। पन्द्रह साल की उम्र में जयदेव घर से भागकर मुम्बई चले गये लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। वाडिया फ़िल्म कंपनी की आठ फ़िल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम करने के बाद उनका मन उचाट हो गया और उन्होंने वापस लुधियाना जाकर प्रोफेसर बरकत राय से संगीत की तालीम लेनी शुरु कर दी। इसके पश्चात मुम्बई आकर उस्ताद अली अकबर खान ने नवकेतन की फ़िल्म ‘आंधियां’, और ‘हमसफर’, में जब संगीत देने का जिम्मा संभाला तब उन्होंने जयदेव को अपना सहायक बना लिया। नवकेतन की ही ‘टैक्सी ड्राइवर’ फ़िल्म से वह संगीतकार सचिन देव वर्मन के सहायक बन गए लेकिन उन्हें स्वतंत्र रूप से संगीत देने का जिम्मा चेतन आनन्द की फ़िल्म ‘जोरू का भाई’ में मिला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी फिल्में वर्ष के अनुसार यूँ हैं– जोरू का भाई (1955), समुंद्री डाकू (1956), अंजलि (1957), अर्पण (1957), रात के राही (1959), हम दोनों (1961), किनारे किनारे (1963), मुझे जीने दो (1963), मैतीघर (नेपाली फिल्म) (1966), हमारे गम से मत खेलो (1967), जियो और जीने दो (1969), सपना (1969), आषाढ़ का एक दिन (1971), दो बूंद पानी (1971), एक थी रीता (1971), रेशमा और शेरा (1971), संपूर्ण देव दर्शन (1971), आतिश उर्फ ​​दौलत का नशा (1972), भावना (1972), भारत दर्शन (1972), मान जाइये (1972), आलिंगन (1973), आज़ादी पच्चीस बरस की (1973), प्रेम पर्वत (1973), फासला (1974), परिणय (1974), आंदोलन (1975), एक हंस का जोड़ा (1975), शादी कर लो (1975), लैला मजनू (1976), अलाप (1977), घरौंदा (1977), किस्सा कुर्सी का (1977), वही बात उर्फ ​​समीरा (1977), दूरियां (1978), गमन (1978), सोलवा सावन (1978), तुम्हारे लिए (1978), आई तेरी याद (1980), एक गुनाह और सही (1980), रामनगरी (1982), एक नया इतिहास (1983), अमर ज्योति (1984), अनकही (1984), जुम्बिश (1985), त्रिकोण का चौथा कोण (1986), खुन्नुस (1987) एवम चंद्र ग्रहण (1997)।

(2) जयदेव के संगीत को अगर बारीकी से देखा जाये तो उन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है, शुरूआती दौर में शास्त्रीय संगीत के साथ हे पश्चिमी संगीत का प्रयोग भी किया। दूसरी तरफ़ उन्होंने कुछ ऐसे धुनें बनाई जो अत्यंत मुश्किल होने के बावजूद भी संगीत प्रेमियों के मध्य बेहद लोकप्रिय हुईं।

(3.) जयदेव जी ने कई महान् हिन्दी कवियों की रचनाओं को भी गीतों में ढ़ालकर, उनमें चार चांद लगा दिए। जिनमें हिन्दी के प्रमुख कवि मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रानन्दन पंत, जय शंकर प्रसाद, निराला, महादेवी वर्मा, माखन लाल चतुर्वेदी, हरिवंशराय बच्चन जी की कई अमर रचनाएं जयदेव जी ने संगीतबद्ध की। मधुशाला मन्ना डे की आवाज़ में आज भी लोकप्रिय है। जयदेव जी के विषय में कह सकते हैं कि हिन्दुस्तानी फ़िल्म संगीत के साहित्यिक संगीतकार थे।

(4.) फिल्म ‘आलाप’ में डॉ. हरिवंश राय बच्चन की कलम से निकली इस रचना को कौन भूल सकता है।

‘कोई गाता मैं सो जाता’ !
कोई गाता मैं सो जाता – 2
संस्कृति के विस्तृत सागर में
सपनों की नौका के अंदर
दुःख सुख की लहरों में उठ गिर
बहता जाता मैं सो जाता
आँखों में लेकर प्यार अमर
आशीष हथेली में भर कर
कोई मेरा सर गोदी में रख
सहलाता मैं सो जाता
मेरे जीवन का काराजल
मेरे जीवन को हलाहल
कोई अपने स्वर में मधुमय कर
दोहराता मैं सो जाता

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 409 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
" चर्चा चाय की "
Dr Meenu Poonia
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Just try
Just try
पूर्वार्थ
हमेशा समय के साथ चलें,
हमेशा समय के साथ चलें,
नेताम आर सी
* सताना नहीं *
* सताना नहीं *
surenderpal vaidya
हम तो अपनी बात कहेंगें
हम तो अपनी बात कहेंगें
अनिल कुमार निश्छल
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
Pratibha Pandey
उदास हो गयी धूप ......
उदास हो गयी धूप ......
sushil sarna
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
शेखर सिंह
"शब्दों का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
केशव
केशव
Dinesh Kumar Gangwar
तेरे दिदार
तेरे दिदार
SHAMA PARVEEN
डॉक्टर
डॉक्टर
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
कान्हा भक्ति गीत
कान्हा भक्ति गीत
Kanchan Khanna
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
Mohan Pandey
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
Dr Archana Gupta
गुरु रामदास
गुरु रामदास
कवि रमेशराज
" फ़ौजी"
Yogendra Chaturwedi
मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
Shweta Soni
बसंत हो
बसंत हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
3710.💐 *पूर्णिका* 💐
3710.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
2122  2122  2122  212
2122 2122 2122 212
Neelofar Khan
When you think it's worst
When you think it's worst
Ankita Patel
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
युवराज को जबरन
युवराज को जबरन "लंगोट" धारण कराने की कोशिश का अंतिम दिन आज।
*प्रणय प्रभात*
माँ आज भी जिंदा हैं
माँ आज भी जिंदा हैं
Er.Navaneet R Shandily
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
VEDANTA PATEL
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...