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20 May 2024 · 1 min read

कामवासना

काम वासना एकाधिकार
मर्दो का,वर्षो से निरंतर!
औरत उपभोग की वस्तु
बन के ही क्यू रह जाये
पैसों से जब बात बने ना
मजनू बन उस को लुभाये
कर मीठी बात दिल बहलाये
रोज नए व्यसन से जी बहलाये
मिल जाये जो जिस्म एक बार
सारा प्यार फुर्र हो जाये
काम वासना मद के चलते
स्त्री तड़ना की अधिकारी बन जाये
रहे मौन, चुप ज़ुल्म सहे
आवाज करे तो
उस को ही दोषी ठहराये
ये बात कुछ समझ में ना आये
होता रहा सदियों से उपहास
उपभोग फिर विलास और
अंत में परित्याग।
***************
✍सन्ध्या चतुर्वेदी
मथुरा यूपी

10 Likes · 1 Comment · 222 Views
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