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17 Jun 2016 · 1 min read

कविता

शुभ प्रेरक तत्त्व समाहित हों जिसमे कुछ अर्थ महान दिखेI
अति सीमित शब्द असीमित भाव लिए गणबद्ध विधान दिखेI
गुणगौरव हो जिसमे प्रभु का शुचि मानवता हित ज्ञान दिखेI
कविता वह है जिसमे कवि के मन प्राण दिखें पहचान दिखेII
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

Language: Hindi
479 Views
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