करते प्रियजन जब विदा ,भर-भर आता नीर (कुंडलिया)*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/e59089d22211a848e35077e3ea976348_5045610c59b958ac41257dd833e90b02_600.jpg)
करते प्रियजन जब विदा ,भर-भर आता नीर (कुंडलिया)*
________________________________
करते प्रियजन जब विदा ,भर-भर आता नीर
संबंधी क्या मित्र क्या , होते सभी अधीर
होते सभी अधीर , फूटकर दिखते रोते
जिनको प्रीति विशेष ,भीतरी सुध-बुध खोते
कहते रवि कविराय ,लोग जाने क्यों मरते
क्यों निर्मम भगवान , पाश क्यों बॉंधा करते
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
नीर = जल // पाश = बंधन
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451