कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/c8f35dbb20c7e8a41df96d587a601643_ed65bb9056c0e9aacf7cc4db2549aab9_600.jpg)
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
चलता मुसाफिर भी दुख सुख बांट लेता है
तुझे आवाज दे दे कर गला बैठ गया मेरा
एक तू है कि मेरी कोई खबर नहीं लेता है
✍️कवि दीपक सरल
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
चलता मुसाफिर भी दुख सुख बांट लेता है
तुझे आवाज दे दे कर गला बैठ गया मेरा
एक तू है कि मेरी कोई खबर नहीं लेता है
✍️कवि दीपक सरल