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6 Nov 2022 · 1 min read

औलाद

मेरे आंखों के सपने
दिल के अरमान हो तुम
तुम से ही तो मैं हूं
मेरी पहचान हो तुम
मैं जमीन हूं अगर तो
तुम मेरे लहलहाते फसल हो
सच मानो तो मेरे लिए
सारा संसार हो तुम
अपने कांधे पर तुम्हें घुमाकर
ओ आनंद आता है
भर दिन की थकान
तेरी एक मुस्कुराहट से
मिनटों में समाप्त हो जाता है
तेरे दुखी होने पर
मेरे दिल पर पहाड़ टूट पड़ता हैं
खाना कितना भी स्वादिष्ट बना हों
सब बेकार लगता है
हर दिन में सोचता हूं
क्या खिलाऊं कहा पढ़ाऊं
क्या खरीदूं तेरे लिए
तू जानता नहीं तू जान है मेरे लिए

सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार

Language: Hindi
Tag: कविता
6 Likes · 2 Comments · 101 Views
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