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6 Mar 2017 · 1 min read

** ऐ हुस्नवाले **

ऐ हुस्नवाले तूं इश्क का एहतिराम कर

यूं ठुकरा ना बेदर्दी इबादत-ए-इश्क ।

तेरी फ़ितरत नही क्या फ़जल-ए-दोस्त

अदावत है किस वज़ह से इजहार कर।

क्या एतबार नहीं मेरे इश्क पे हमदम

निहायत है मुफ़ीद तिजारत-ए-इश्क।

अब करदे हवाले हुस्न मेरे मरहम

ऐ हुस्नवाले तूं इश्क का एहतिराम कर
।।

?मधुप बैरागी

1 Like · 345 Views

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