Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2023 · 1 min read

ऐ पड़ोसी सोच

गुफ्तगूं की पेशकश में,
दिखती हैं मजबूरियां।
वरना पाव भर के गोले
दागते वे दे बयां।

ऐ पड़ोसी सोच फिर से,
एक नहीं दस मर्तवा।
बूत परस्तों के यहां की,
क्या रोटी मंजूर है?

मुशरिकों के घर का खाना,
शायद न जायज लगे।
क्या मुनासिब होगा गंदुम?
काफिरों के देश का।

फतवा जारी हो गया गर,
ये आटा हराम है।
मरें, लेकिन नहीं लेंगे,
गंदुम दुश्मन मुल्क से ।

वक्त गाढ़े पर तुम्हारे,
पेशकश की थी एक बार।
कर दिया इनकार तुमने,
जो नहीं वाजिब लगी।

मट्ठे से भी जल न जाऊं,
सोचता हरदम यही।
मदद करने की हिमाकत,
इस लिये करते नहीं।

अपनी अपनी शान होती,
अपनी अपनी नाक है।
अदना आखिर क्यों उड़ाये,
खिल्ली किसी मजबूर का।

मुझको इतना ही है कहना,
नारा मेरा है यही।
जियो और जीने को मुझको,
दहशतगर्दी बंद हो।

बूत परस्ती से ही सीखा,
दुनिया एक परिवार है।
कौम की तहजीब मेरे,
नेकी में आगे रहो।

झोली को फैला के देखो,
रहेगी खाली नहीं।
न करे मायूस कतई,
मेरे भारत का सदर।

फ़क़त परेशां किया है,
हरदम करके दुश्मनी।
जबकि हमने दुआ मांगी,
तू भी खूब आबाद हो।

औरों खातिर गड्ढा खोदा,
खुद ही उसमें गिर गये।
सच कहा है मुर्शिदों ने,
बोए जो काटे वही।

मौला के घर देर है पर,
न कभी अंधेर है।
होती न आवाज कोई,
उस खुदा की मार में।

सतीश सृजन, लखनऊ.

Language: Hindi
209 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Satish Srijan
View all
You may also like:
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
71
71
Aruna Dogra Sharma
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
Dr MusafiR BaithA
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
Shweta Soni
चौराहे पर....!
चौराहे पर....!
VEDANTA PATEL
3190.*पूर्णिका*
3190.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
Rahul Singh
दिल कहे..!
दिल कहे..!
Niharika Verma
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
शेखर सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ये कैसा घर है. . .
ये कैसा घर है. . .
sushil sarna
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
VINOD CHAUHAN
असमान शिक्षा केंद्र
असमान शिक्षा केंद्र
Sanjay ' शून्य'
खत
खत
Punam Pande
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल,
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल,
Sunil Maheshwari
बृद्ध  हुआ मन आज अभी, पर यौवन का मधुमास न भूला।
बृद्ध हुआ मन आज अभी, पर यौवन का मधुमास न भूला।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मां शारदा की वंदना
मां शारदा की वंदना
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बुंदेली दोहा -खिलकट (आधे पागल)
बुंदेली दोहा -खिलकट (आधे पागल)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
भूतपूर्व (हास्य-व्यंग्य)
भूतपूर्व (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
#देसी_ग़ज़ल
#देसी_ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
हसीन चेहरे पर बहकने वाले को क्या ख़बर
हसीन चेहरे पर बहकने वाले को क्या ख़बर
पूर्वार्थ
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
सत्य कुमार प्रेमी
आँख दिखाना आपका,
आँख दिखाना आपका,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
" माँ "
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ुद को हमारी नज़रों में तलाशते हैं,
ख़ुद को हमारी नज़रों में तलाशते हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
दिल अब
दिल अब
Dr fauzia Naseem shad
वेदनामृत
वेदनामृत
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
अकथ कथा
अकथ कथा
Neelam Sharma
Loading...