एक सख्सियत है दिल में जो वर्षों से बसी है
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एक सख्सियत है दिल में जो वर्षों से बसी है
हैं जिस्म तो आज़ाद मगर रूह फंसी है
उसके जमाल में हृदय बस इतना जानता
मैं रोया तो रोयी, मेरे हंसने पे हंसी है
✍️ हरवंश हृदय
एक सख्सियत है दिल में जो वर्षों से बसी है
हैं जिस्म तो आज़ाद मगर रूह फंसी है
उसके जमाल में हृदय बस इतना जानता
मैं रोया तो रोयी, मेरे हंसने पे हंसी है
✍️ हरवंश हृदय