Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

उस”कृष्ण” को आवाज देने की ईक्षा होती है

मनुष्य और जानवर होने का फर्क को सिर्फ” – विवेक (Conscience)”और “प्राकृतिक ज्ञान / सहज ज्ञान – (Instinct)” की परिभाषा से शायद दर्शा सकते हैं !

यह “कलियुग का श्राप ” ही है के हम अपने इस जीवनकाल के महाभारत में खुद ही एक चक्रव्यूह की रचना कर डालते हैं और यदि विवेक का प्रयोग ना किया तो इस चक्रव्यूह को तोड़ने के प्रयास में खुद ही टूट कर रह जाते हैं ! यह भी उतना ही सत्य है की शायद यह मनुष्य की ही यह आसुरी प्रवृति है के सब से आगे निकल जाने कीऔर सब कुछ जल्दी पा लेने के होड़ मेंअपने विवेक का प्रयोग ना कर, “कलियुग”के शाप केप्रभाव में अपनेविवेक / अंतरात्मा को दबा बिलकुल “दुर्योधन दंभ” से गर्सितअपनों के ही सपनों और आशाओं की हत्या करदेते हैं ! कभी – कभी यही विवेक जब मनुष्यके अंतर्मन को झंझोड़ता है , तो कितनी ही बार यूं लगता है के शायद सिर्फ जानवरों जैसी “Instinct – प्राकृतिक ज्ञान / सहज ज्ञान” भर ही होता तो जीवन सरल और सहज होता, और एक मानव दूसरे मानव को “दानव दृष्टि” से ना देख रहा होता !

और यहीं उस”कृष्ण” को आवाज देने की ईक्षा होती है जो शायद एक बार फिर आ केइस “जीवन रुपी कुरुक्षेत्र” में एक नयी गीता का उपदेश दें , या इस दुर्योधन दंभ से बाहर निकाल , बिलकुल “पार्थ”की तरह ही इस “जीवन रथ के सारथि” बन , इस जीवन युद्ध में विजयी होने का आशीष दें , और इस शरीर की मृत्यु और आत्मा के अनंत होने की दृष्टि और विवेक दे सकें !

Language: Hindi
94 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Atul "Krishn"
View all
You may also like:
" चर्चा चाय की "
Dr Meenu Poonia
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Just try
Just try
पूर्वार्थ
हमेशा समय के साथ चलें,
हमेशा समय के साथ चलें,
नेताम आर सी
* सताना नहीं *
* सताना नहीं *
surenderpal vaidya
हम तो अपनी बात कहेंगें
हम तो अपनी बात कहेंगें
अनिल कुमार निश्छल
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
Pratibha Pandey
उदास हो गयी धूप ......
उदास हो गयी धूप ......
sushil sarna
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
शेखर सिंह
"शब्दों का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
केशव
केशव
Dinesh Kumar Gangwar
तेरे दिदार
तेरे दिदार
SHAMA PARVEEN
डॉक्टर
डॉक्टर
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
कान्हा भक्ति गीत
कान्हा भक्ति गीत
Kanchan Khanna
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
Mohan Pandey
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
Dr Archana Gupta
गुरु रामदास
गुरु रामदास
कवि रमेशराज
" फ़ौजी"
Yogendra Chaturwedi
मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
Shweta Soni
बसंत हो
बसंत हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
3710.💐 *पूर्णिका* 💐
3710.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
2122  2122  2122  212
2122 2122 2122 212
Neelofar Khan
When you think it's worst
When you think it's worst
Ankita Patel
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
युवराज को जबरन
युवराज को जबरन "लंगोट" धारण कराने की कोशिश का अंतिम दिन आज।
*प्रणय प्रभात*
माँ आज भी जिंदा हैं
माँ आज भी जिंदा हैं
Er.Navaneet R Shandily
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
VEDANTA PATEL
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...