मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
*पाते जन्म-मरण सभी, स्वर्ग लोक के भोग (कुंडलिया)*
"एहसानों के बोझ में कुछ यूं दबी है ज़िंदगी
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अब तुझपे किसने किया है सितम
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया