Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jul 2016 · 5 min read

इस रिश्ते का भविष्य क्या है?

नोएडा सेक्टर-27 में रविवार को डॉक्टर कपिल भाटी ने पिस्टल से खुद की कनपटी पर गोली मार ली डॉक्टर कपिल ने अपने सात पेज के सुइसाइड नोट में लिखा है कि उन्होंने सुइसाइड का कदम बड़ा हताश होने के बाद उठाया| हम दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहते थे| किन्तु युवती ने कभी पिता की आर्थिक हालत खराब बताई तो कभी पढ़ाई के बहाने से तो कभी किसी अन्य बहाने से रुपये लेती रही। करीब दो साल में युवती ने करीब 24 लाख रुपये मुझसे ऐंठ लिए। जब कपिल ने युवती और उसके भाई के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो दोनों ने इंकार कर दिया। कपिल ने जब रुपये वापस मांगे तो प्रेमिका आगबबूला हो गई और रेप में फंसाकर जीवन बर्बाद करने की धमकी देने लगी। इस प्रकार की खबर पढ़कर लगता है जितना बदलाव हमारे समाज में पिछले 100 वर्षो में आया उतना ही बदलाव अभी पिछले लगभग 15 सालों में आ गया| लगता है हमने अगले सौ वर्षो का सफ़र पिछले 15 सालों में तय कर लिया| चिंता यह नहीं है कि क्यों कर लिया बल्कि चिंता का विषय यह कि अगले 15 वर्षो में हमारी संस्कृति और समाज कहाँ होगा? जबाब टालकर या भविष्य के सहारे छोड़कर भी काम नहीं चलेगा क्योंकि आज की नींव ही कल के निर्माण का भविष्य तय करेगी|
अब थोड़ी समझदारी जिम्मेदारी से काम करना होगा आज खुद भी समझना होगा और भेड़-चाल चल रही कुछ नई पीढ़ी को बताना होगा कि यदि आप एक नई परम्परा जन्म दे रहे हो तो इसकी गरिमा को भी बनाये रखना होगा! डॉ कपिल से लेकर पिछले दिनों प्रत्युषा बनर्जी के मामले में भी सामने आया और हाल में ही हुआ 2 मई को पत्रकार पूजा तिवारी आत्महत्या प्रकरण भी इसी बिना बंधन के रिश्ते लिव इन रिलेशनशिप का एक भयावह परिणाम है| कहने का तात्पर्य यही है कि हाल के दिनों में लिव इन के साथ यौन शोषण, धोखाधड़ी और घरेलू हिंसा के मामलों में काफी इजाफा हुआ है ऐसे में आज़ादी की चाह रखने वाले युवाओं को लिव इन रिश्ता थोड़े समय के लिए भले ही मौज मस्ती और खुलेपन का एहसास देता हो लेकिन पूजा हो या प्रत्यूषा, या अब डॉक्टर कपिल भाटी इनकी डेथ मिस्ट्री से जुड़ा लिव-इन का सच खतरनाक संकेत दे रहा है जिस से युवाओं को सबक लेने की ज़रुरत है| आज युवाओं को सोचना होगा हर एक रिश्ते की गरिमा के साथ उसका भविष्य भी होता है और जिस रिश्तें का भविष्य ना हो तो वो रिश्ता क्या होता है ??
बीते सालों पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि लिव इन रिलेशनशिप में न केवल हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है बल्कि लिव इन में रहने वालों के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में भी कई गुना बढ़ोतरी हुई है। यह चिंता का विषय है। आज के दौर में लिव इन रिलेशनशिप के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। साथ ही इनमें हिंसा के मामलों में भी तेजी आई है। इस प्रसंग में मीडिया भी लड़कियों की आजादी का एक झूठा स्वांग सा रचता दिखाई देता है कई बार अनजाने में हम पाते हैं कि आज कुछ पत्रकारिता अपने पूरे चरित्र में भयानक संस्कृति विरोधी हो उठी है| आगे निकलने के लिए ख़बरों को चटपटा बनाने का खेल धीरे-धीरे इनकी संपादकीय नीति का हिस्सा सा बनता जा रहा है| जिसके पीछे यह नज़रिया काम कर रहा है कि अगर आप किसी विषय को गंभीरता से लेंगे तो पाठक भाग जाएगा तो क्यों गंभीर विषयों का भी तमाशा ही बनाया जाये
भले ही आज का युवा कुछ वर्ग इस तरह के संबंधों को कानून के बाद सामाजिक स्वीकारोक्ति मिलने की मांग करते हुए नैतिकता पूर्ण रिश्तों पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए नैतिकता को व्यक्तिगत मामला बताकर कहता हो कि जरूरी नहीं सभी के लिए नैतिकता के मायने समान हों हर किसी का भिन्न द्रष्टिकोण होता है। लिव इन रिलेशनशिप की वकालत करने वाले कहते है कि इसमें जिम्मेदारियों के अभाव में लाइफ टेंशन फ्री होती है, ज़िन्दगी भर किसी एक के साथ बंधे रहने की मजबूरी नहीं होती जब आपको लगे कि आप एक दुसरे के साथ खुश नहीं है आप एक दुसरे को छोड़ सकते हैं यानी आप बिना किसी झंझट के साथी बदल सकते हैं| मतलब साफ है कि आज यह लिव इन रिश्ता उन लोगों को खासा आकर्षित करता है जो वैवाहिक जीवन तो पसंद करते हैं लेकिन उससे जुड़ी जिम्मेदारियों से मुक्त रहना चाहते हैं| यह तो हुआ इस रिश्ते का एक अच्छा पहलू लेकिन बिना बंधन के इस रिश्ते का एक दर्दनाक पहलू भी है जिससे अधिकांश युवा अनजान हैं जो पत्रकार पूजा तिवारी, प्रत्यूषा बनर्जी और डॉक्टर कपिल भाटी के मौत के मामले में साफतौर पर सामने आया है|
माना कि इस रिश्ते में कोई दायित्व नहीं होता| आप बिना किसी बंधन के एक दुसरे के साथ रहते हैं लेकिन जब दो लोग एक दुसरे के साथ रहने लगते है तो वे एक दुसरे के साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़ते है और इस जुड़ाव में वे एक दुसरे से अपेक्षाएं भी रखने लगते है लेकिन जब दोनों साथी में से कोई भी एक सामने वाली भावों की अनदेखी करता है तो भावनात्मक रूप से कमजोर साथी इसे धोखा समझता है और कुछ न कर पाने की स्थिति में तनाव का शिकार हो जाता है और बिना बंधन का यह रिश्ता दर्दनाक बन जाता है| शायद इसी वजह से दिल्ली हाईकोर्ट ने खासकर लड़कियों को सुझाव दिया है कि वह किसी भी रिश्ते-चाहे शादी का हो या फिर लिव इन-में-जाने से पहले सोच-समझकर कदम उठायें। असल में विवाह न केवल भारत में बल्कि बाकि संस्कृतियों में भी पवित्र माना गया है और इसे धार्मिक भावना से भी जोड़कर देखते है जिसमे दोनों अपने जीवनसाथी के साथ जीवनभर के लिए वफादार रहने का प्रण लेते है और इसे इतना पवित्र और खास समझे जाने के पीछे महिला की सुरक्षा भी निहित है| जिसमे एक स्त्री के अस्तित्व के लिए शादी के बाद कानूनी तौर पर उसे अपने पति की जायदाद में आधा हिस्सेदार माना गया है| अब सवाल यह है कि अगर हम आधुनिकता के नाम पर इस रिश्तों को अमली जामा पहनाते भी हैं तो युगों से सहेजी गई भारतीय संस्कृति और संस्कारों का क्या होगा?

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सरस्वती वंदना-4
सरस्वती वंदना-4
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
डी. के. निवातिया
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
गुमनाम 'बाबा'
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
Neeraj Agarwal
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
surenderpal vaidya
नेता
नेता
Raju Gajbhiye
सीप से मोती चाहिए तो
सीप से मोती चाहिए तो
Harminder Kaur
ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी में
Santosh Shrivastava
प्रेम सुधा
प्रेम सुधा
लक्ष्मी सिंह
जिंदगी को रोशन करने के लिए
जिंदगी को रोशन करने के लिए
Ragini Kumari
सपनों का राजकुमार
सपनों का राजकुमार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*समझौता*
*समझौता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कुछ अच्छा करने की चाहत है
कुछ अच्छा करने की चाहत है
विकास शुक्ल
गुमराह जिंदगी में अब चाह है किसे
गुमराह जिंदगी में अब चाह है किसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
Ravi Prakash
" सब भाषा को प्यार करो "
DrLakshman Jha Parimal
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"ना भूलें"
Dr. Kishan tandon kranti
3087.*पूर्णिका*
3087.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ
कुछ
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
Buddha Prakash
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
अंजाम
अंजाम
Bodhisatva kastooriya
उम्मीदें  लगाना  छोड़  दो...
उम्मीदें लगाना छोड़ दो...
Aarti sirsat
बड़ी मुश्किल है
बड़ी मुश्किल है
Basant Bhagawan Roy
तुम भी जनता मैं भी जनता
तुम भी जनता मैं भी जनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
विवशता
विवशता
आशा शैली
लंबा क़ानून
लंबा क़ानून
Dr. Rajeev Jain
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
Neeraj Naveed
Loading...