इतिहास
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हमने इतिहास से नहीं सीखा
“प्रेम करना ”
कि , किसी की याद में
कैसे बनाया जाता है
“ताजमहल ”
अपने को वापस लाने के लिए
कैसे बनाया जाता है
समुंदर में “सेतु”
कोई कैसे बन जाता है
अपने प्रेयसी की पीड़ादायक मौत से
दसरथ “माझी”
हमने नहीं सीखा रखना सिहासन पर
“खड़ाऊ”
हम नहीं समझे कुरुक्षेत्र के
“उपदेश”
हम नहीं बने
भगत सिंह ,आजाद , शिवाजी ,
जैसे ” बलिदानी ”
राम , युधिष्ठिर ,
जैसे ” भाई ”
माता , सीता , सावित्री , सती
” जैसी नारियां !
हमने इतिहास से लिया तो सिर्फ
“दुर्योधन का क्रोध”
“रावण का अहम”
” सकुनी की मकारी ”
“इंद्र की कुदृष्टि ”
राजाओं से
छल ,कपट , द्वेष ,
“अपने से ”
विश्वासघात , घृणा !
कितना कुछ अच्छा था लेने को
हम लोगों के पास
इतिहास से !
✍️ श्याम बिष्ट
9990217616
उत्तराखण्ड