आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
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आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
मुश्किल में हमको नहीं, करने देते काम।
सभी दिशाओं का यही, हो जाता है हाल।
ऐसे में घर बैठकर, करते सब आराम।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/११/२०२३
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
मुश्किल में हमको नहीं, करने देते काम।
सभी दिशाओं का यही, हो जाता है हाल।
ऐसे में घर बैठकर, करते सब आराम।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/११/२०२३