आह जो लब से निकलती….
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दिल में नफ़रत और पलती जाएगी,
आह जो लब से निकलती जाएगी।।
बंद करिए बात करनी बेतुकी,
मूँग फिर छाती पे दलती जाएगी।।
घर से निकलो चूमकर माँ के क़दम,
फिर बला सब सर से टलती जाएगी।।
स्याह रातों का सफ़र तय करने को,
शाम जैसे उम्र ढलती जाएगी।।
बारी – बारी सब बिछड़ते जाएंगे,
और दुनिया हाथ मलती जाएगी।।
वक़्त के तेवर बदलते ही सदा –
ज़िन्दगी करवट बदलती जाएगी।।
‘अश्क ‘ हम जब याद आयेंगे उन्हें,
हिज्र की वह रात खलती जाएगी।।
@ अश्क चिरैयाकोटी
दि०:20/02/2023