आओ दीप जलायें

आओ दीप जलायें।
आओ दीप जलाये।।
मनीषियों की तपो भूमि में
संस्कारो का बीज उगाये।।
आओ दीप जलाये—
हरी धरती, हरे वन है,
संसाधन में कहा कम है।
आओ आयुर्वेद बचाये ,
एक दीपक धन्वन्तरी को लगाये।।
आओ दीप जलाये—
अपनी कला, अपना श्रम है,
पूजा करते अपने हस्त है।
स्वदेशी आजीविका को बचाये,
एक दीपक लक्ष्मी को लगाये।।
आओ दीप जलाये—
अपनी कृषि, अपना पशु धन,
क्यों करते हे, इनका अपरदन।
जल को,हल को अब तो बचाये,
एक दीपक गोवर्धन को लगाये।।
आओ दीप जलाये—
आओ दीप जलाये—
शुभ दीपावली
(कवि- डॉ शिव ‘लहरी’)