Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2022 · 1 min read

असली जबाज़

जाने क्यों लोग मजहब के लिए हैं लड़ते ,
जाति-पाती का भेद हैं करते ,
सबसे महान है हमारे वीर -सैनिक ,
जो इन सब झगड़ों से ऊपर उठकर ,
भारत -माता पर प्राण न्योछावर करते .

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
105 Views

Books from ओनिका सेतिया 'अनु '

You may also like:
एक ही निश्चित समय पर कोई भी प्राणी  किसी के साथ प्रेम ,  किस
एक ही निश्चित समय पर कोई भी प्राणी किसी के...
Seema Verma
ये संघर्ष
ये संघर्ष
Ray's Gupta
एक ठोकर क्या लगी..
एक ठोकर क्या लगी..
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
ज़रूरी थोड़ी है
ज़रूरी थोड़ी है
A.R.Sahil
रात है यह काली
रात है यह काली
जगदीश लववंशी
शहर माई - बाप के
शहर माई - बाप के
Er.Navaneet R Shandily
आसाध्य वीना का सार
आसाध्य वीना का सार
Utkarsh Dubey “Kokil”
अस्तित्व
अस्तित्व
Rekha Drolia
मैकदे को जाता हूँ,
मैकदे को जाता हूँ,
Satish Srijan
ना चराग़ मयस्सर है ना फलक पे सितारे
ना चराग़ मयस्सर है ना फलक पे सितारे
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मैथिली भाषा/साहित्यमे समस्या आ समाधान
मैथिली भाषा/साहित्यमे समस्या आ समाधान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
तन्हाई के पर्दे पर
तन्हाई के पर्दे पर
Surinder blackpen
"अहसासों का समीकरण"
Dr. Kishan tandon kranti
होती है अंतहीन
होती है अंतहीन
Dr fauzia Naseem shad
बड़े गौर से....
बड़े गौर से....
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ये भी सच है के हम नही थे बेइंतेहा मशहूर
ये भी सच है के हम नही थे बेइंतेहा मशहूर
'अशांत' शेखर
अमर शहीद भगत सिंह का जन्मदिन
अमर शहीद भगत सिंह का जन्मदिन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
💐प्रेम कौतुक-353💐
💐प्रेम कौतुक-353💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
संपूर्ण गीता : एक अध्ययन
संपूर्ण गीता : एक अध्ययन
Ravi Prakash
यह नज़र का खेल है
यह नज़र का खेल है
Shivkumar Bilagrami
संविधान दिवस
संविधान दिवस
Shekhar Chandra Mitra
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
Charu Mitra
प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
Vijay kannauje
अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस पर....
अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक यह भय जिससे
एक यह भय जिससे
gurudeenverma198
🌷 चंद अश'आर 🌷
🌷 चंद अश'आर 🌷
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ना पूंछों हमसे कैफियत।
ना पूंछों हमसे कैफियत।
Taj Mohammad
"थामता है मिरी उंगली मेरा माज़ी जब भी।
*Author प्रणय प्रभात*
THOUGHT
THOUGHT
साहित्य लेखन- एहसास और जज़्बात
Loading...