जो दिल में है उसे आंखों से कहलाना जरूरी है
।सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ ।
ईश्वर या अलौकिक शक्ति अवधारणा - वास्तविकता या मिथक ?
लेखक कि चाहत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
हृदय से जो दिया जा सकता है वो हाथ से नहीं और मौन से जो कहा ज
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
3 घण्टे में स्वेटर बुनने वाली उंगलियां उसे 3 मिनट में उधेड़ने
नारी-शक्ति के प्रतीक हैं दुर्गा के नौ रूप
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
रास्ता दो तो हम भी चार कदम आगे बढ़ें...
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
*धन-संपत्ति (राधेश्यामी छंद)*
तेरा "आप" से "तुम" तक आना यक़ीनन बड़ी बात है।
घंटीमार हरिजन–हृदय दलित / मुसाफ़िर बैठा
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
नाम बहुत हैं फ़ेहरिस्त में नाम बदल सकता हूँ मैं,