अब वो किसी और से इश्क़ लड़ाती हैं
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रिश्तों की बात कहाँ से करे
वो बिल्कुल भी नहीं समझती हैं
कहने को मेरी पत्नी कहलाती हैं
अब वो किसी और से इश्क लड़ती हैं
अवैध संबंध बनाने से रोको तो
497 से अब आज़ादी दिखती हैं
पक्षपाती कानूनों की धौंस दिखाकर
अब वो किसी और से इश्क लड़ाती हैं
यार से उसकी यारी, अब भी जारी हैं
सातों वचन तोड़कर रातें कई गुजारी हैं
मीलॉर्ड की छत्रछाया बताकर
अब वो किसी और से इश्क लड़ाती है
अब घर घर से यही कहानी आती हैं
इनका भी वही, जो उनकी दर्द बताती है
कभी सास-ससुर, कभी पति को मारकर
अब वो किसी और से इश्क लड़ाती हैं
उसकी बेतुकी हरकतों को रोकें तो
सुबह शाम कोहराम मचाती रहती हैं
पूरे परिवार पर झूठे मुकदमे लिखाकर
अब वो किसी और से इश्क लड़ाती है