*अज्ञानी की कलम*
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अज्ञानी की कलम
मिट रही इंसानियत इंसान पड़ा हो गया।
कुछ रही ईमानदारी ईमान खड़ा हो गया।।
सारे जग में ढूंढ लो इंसान और ईमान को। कद्रदानी इंसा और ईमान मड़ा हो गया।। जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•
अज्ञानी की कलम
मिट रही इंसानियत इंसान पड़ा हो गया।
कुछ रही ईमानदारी ईमान खड़ा हो गया।।
सारे जग में ढूंढ लो इंसान और ईमान को। कद्रदानी इंसा और ईमान मड़ा हो गया।। जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•