Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2023 · 1 min read

अज्ञात

वर्तमान अनिश्चित वातावरण,
असंभावित भविष्य चिंतन ,
पूर्वाग्रह एवं पूर्वानुमान व्यग्र मन ,
दिग्भ्रमित विचलित हृदय आंदोलन ,
यथार्थ परे कल्पना व्योम विचरण,
नियति- चक्र प्रभावित संघर्षपूर्ण जीवन,
संकट झेलता व्यथित साधारण मानव ,
किंकर्तव्यविमूढ़ त्रिशंकु परिस्थिति ,
अज्ञात दिशा प्रेरित जीवन परिणति।

Language: Hindi
1 Like · 57 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.

Books from Shyam Sundar Subramanian

You may also like:
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
डी. के. निवातिया
जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
उदासीनता
उदासीनता
Shyam Sundar Subramanian
क्या ढूढे मनुवा इस बहते नीर में
क्या ढूढे मनुवा इस बहते नीर में
rekha mohan
Re: !! तेरी ये आंखें !!
Re: !! तेरी ये आंखें !!
RAJA KUMAR 'CHOURASIA'
Rap song 【5】
Rap song 【5】
Nishant prakhar
तानाशाहों का हश्र
तानाशाहों का हश्र
Shekhar Chandra Mitra
होली
होली
Dr Archana Gupta
*ध्यान  (कुंडलिया)*
*ध्यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
Buddha Prakash
विश्वास का धागा
विश्वास का धागा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मेंटल
मेंटल
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
अक्षय तृतीया ( आखा तीज )
अक्षय तृतीया ( आखा तीज )
डॉ.सीमा अग्रवाल
# मंजिल के राही
# मंजिल के राही
Rahul yadav
"कौन हूँ मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
कल्पनाओं की कलम उठे तो, कहानियां स्वयं को रचवातीं हैं।
कल्पनाओं की कलम उठे तो, कहानियां स्वयं को रचवातीं हैं।
Manisha Manjari
★गैर★
★गैर★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
वैष्णों भोजन खाइए,
वैष्णों भोजन खाइए,
Satish Srijan
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
Shyam Pandey
मिल ही जाते हैं
मिल ही जाते हैं
Surinder blackpen
वही दरिया के  पार  करता  है
वही दरिया के पार करता है
Anil Mishra Prahari
💐अज्ञात के प्रति-29💐
💐अज्ञात के प्रति-29💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
साहस का सच
साहस का सच
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मैं
मैं
Seema gupta,Alwar
"शब्दकोश में शब्द नहीं हैं, इसका वर्णन रहने दो"
Kumar Akhilesh
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
अमित मिश्र
वो भी क्या दिन थे,
वो भी क्या दिन थे,
Dr. Rajiv
"चुनावी साल"
*Author प्रणय प्रभात*
जब कोई बात समझ में ना आए तो वक्त हालात पर ही छोड़ दो ,कुछ सम
जब कोई बात समझ में ना आए तो वक्त हालात पर ही छोड़ दो ,कुछ सम
Shashi kala vyas
Loading...