Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2016 · 3 min read

लेख :– मेरे कम्पनी की बस !!

लेख :– मेरे कम्पनी की बस !!

रचनाकार :– अनुज तिवारी “इन्दवार”

दोस्तो आज की इस व्यस्ततम जीवन शैली में “परेशानी और तनाव ” इंसान के उपनाम से हो गये हैं ! कोई कितना भी कोशिश करे मगर इसमें उलझा ही मिलेगा !

एक तो महँगाई ऊपर से आधुनिक ज़माने के फैशन और चाल-चलन नें तो इंसान की कमर तोड़ दी है !

व्यस्तता ऐसी की सुबह उठना और जल्दी से तैयार हो कर ऑफिस के लिये निकलना …..इतनी जल्दबाजी तो कभी इम्तिहान के समय भी नहीं की थी , खैर …….!
इस दौरान नहाने फ्रेश होने और नाश्ता करने का समय भी निर्धारित होता है , अच्छे से नहाने का ख़याल भी आया तो ना बाबा ना ………वरना नाश्ता दौड़ते हुए ही करना पड़ेगा या खाली पेट ही जाना पड़ेगा …!

बीबी की झिक -झिक ……….
बच्चों की खट -पिट ………….
और ऑफिस में
बॉस की किच -किच ………..
सुन कर मुझे मुझे अपना एक शेर याद आता है ;
” मेरे इस जीवन में जानें !
किसने आग लगा दी है !! ”

इस दौरान मैंने देखा की हम अपने ऑफिस में अपने ही बगल में काम कर रहे अपने साथ के कर्मचारियों से उनका हाल चाल भी नहीं पूँछ पाते हैं !
बस हमारी जान-पहचान हाय हैलो तक ही सीमित रहती है , कभी – कभी तो ऐसा भी होता है की हमें एक दूसरे का नाम लेने के समय भी सोच कर के लेना पड़ता है की उसका वही नाम है या फ़िर कुछ और …..!!

शाम को घर जाते हैं तो बीबी भी डरी सहमी सी ……पानी का ग्लास लेकर आती है ; और टेबल पर रख कर कहती ………एजी पानी !
जैसे कोई प्रताड़ित करके ग्लास लेकर भेजा हो ……पर वो करती भी तो क्या ……..काम की थकान और बॉस का गुस्सा सब घर में ही तो निकलता है …..बच्चे भी डरे सहमें से चुपचाप अपने कमरे में किताब खोल कर बैठ जाते हैं !!

इस व्यस्ततम और तनाव भरे जीवन के बीच हमारे खुशियों के वजूद को जिंदा किये हुए मुझे मेरे कंपनी की बस याद आती है ! सुबह बस अड्डे पर बस के इंतजार में टपरे में चाय पीना और दोस्तों के साथ खींचातानी करना ………
बस में मस्ती भरी बातें करना ..
एक दूसरे को चिड़ाना ……….!!
सब लोग साथ में ऑफिस पहुँचते …
और शाम को वापसी के समय तो बस ऐसा लगता की कारावास से रिहाई के बाद की खुली हवा मिली हो !

सुबह ऑफिस जानें के समय ..

अभी ये करना होगा ….
अभी वो करना होगा ……
बॉस ऐसा बोलेगा …….
बॉस क्या बोलेगा ……
तमाम खयालात जहन में बिना इजाजत ही दस्तक देते हैं !

पर घर वापसी के समय पूरी मस्ती ……और लड़कपन के साथ सभी तनाव मुक्त होकर ………
बस एक ही बात बोलते हुए की
चलो आज का दिन अच्छा गया …अब कल का कल देखा जायेगा !!

मुझे तो ऐसा लगता है की ये बस हमारे बचपन के कुछ खूबसूरत यादगार पलों को भी याद करने में मजबूत कर देती है ……….!

कभी कभी तो मुझे ये सोच कर डर भी लगता है की अगर कम्पनी ये बस बन्द कर दी तो क्या होगा ????
जैसे बच्चों से बचपना छिन जायेगा !

सब अपने अपने निजी साधन से ऑफिस आयेंगे ….और काम ख़त्म करके घर जाएँगे …..!!
केवल ;
घर से ऑफिस
ऑफिस से घर
इसी में जिंदगी कट जाएगी !
ये सब बातें सोच कर ही दिल सहम सा उठता है ….और कहता है
” वाह मेरे कम्पनी की बस …..तू ही हमारे मेल मिलाप का एक जरिया है ! तू कभी बन्द मत पड़ना ! तू कभी बन्द मत पड़ना !!”

अनुज तिवारी “इन्दवार”

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Comments · 664 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*एक व्यक्ति के मर जाने से, कहॉं मरा संसार है (हिंदी गजल)*
*एक व्यक्ति के मर जाने से, कहॉं मरा संसार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
gurudeenverma198
साहस है तो !
साहस है तो !
Ramswaroop Dinkar
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
' मौन इक सँवाद '
' मौन इक सँवाद '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Jeevan Ka saar
Jeevan Ka saar
Tushar Jagawat
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
Rj Anand Prajapati
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
मंज़िल को पाने के लिए साथ
मंज़िल को पाने के लिए साथ
DrLakshman Jha Parimal
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
डा गजैसिह कर्दम
"प्यार का रोग"
Pushpraj Anant
It is that time in one's life,
It is that time in one's life,
पूर्वार्थ
24/235. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/235. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
निर्णय लेने में
निर्णय लेने में
Dr fauzia Naseem shad
क्षितिज पार है मंजिल
क्षितिज पार है मंजिल
Atul "Krishn"
এটি একটি সত্য
এটি একটি সত্য
Otteri Selvakumar
सिर्फ औरतों के लिए
सिर्फ औरतों के लिए
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छे दिन
अच्छे दिन
Shekhar Chandra Mitra
दोस्ती
दोस्ती
Mukesh Kumar Sonkar
नारी
नारी
Dr Archana Gupta
अभिसप्त गधा
अभिसप्त गधा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिस मुश्किल का यार कोई हल नहीं है
जिस मुश्किल का यार कोई हल नहीं है
कवि दीपक बवेजा
सजन के संग होली में, खिलें सब रंग होली में।
सजन के संग होली में, खिलें सब रंग होली में।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"इश्क़ वर्दी से"
Lohit Tamta
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
वो मुझे पास लाना नही चाहता
वो मुझे पास लाना नही चाहता
कृष्णकांत गुर्जर
#आज_का_शेर
#आज_का_शेर
*Author प्रणय प्रभात*
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
करो खुद पर यकीं
करो खुद पर यकीं
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
Loading...