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20 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

” रौशन जुगनूओं से मेरी तो हर रात होती है,
तन्हा आस्मां की धरती से कुछ बात होती है,
कभी भी मेघ रुकते है नहीं बंजर जमीन पर दोस्त
सदा सागर में ही नित नयी बरसात होती है “

Language: Hindi
232 Views
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