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20 Nov 2016 · 1 min read

उस रात

उस रात

तुमने लिखा था
उस रात
खींचकर मेरा हाथ
बना उंगली कलम से
प्यार नाम तुमने
फ़ासला था हममें
उस रात
चारों ओर नीरवता
बेसुधर सो रही थी।
तारिकाऐं ही जानती
दशा मेरी दिल की
उस रात
मैं तुम्हारे पास होकर
दूर तुमसे जा रही थी
अधजगा सा अलसाया
अधसोया हुआ सा मान
उस रात
रात तुमने खींच कर
मुझे अपनी ओर फिर
से प्रस्ताव लिखा था
साथ निभाने का जीवन
उस रात

बिजली छूई तनमन को
सहसा जग कर देखा मैं
इस करवट पड़ी थी तुम
कि आँसू चुप बह रहे थे
उस रात
जला दूँ उस संसार को
प्यार जो कायरता दिखाता
पता उस समय क्या कर
और ना कर गुजरती मैं
उस रात
प्रात ही की ओर को
हमेशा है रात चलती
उजाले में अंधेरा डूबता
शहर ही पूरा कि सारा
उस रात
बदलता कौन ऐसी
एक नया चेहरा सा
लगा तुमने लिया था
निशा का अद्भुत स्वप्न
उस रात
मेरा पर ग़ज़ब का था
किया अधिकार तुमने।

और उतनी ही दूरियाँ
पर आज तक अन्तिम
सौ बार मुड करके भी
न आये फिर कभी हम
उस रात
लौटा चाँद ना फिर कभी
और अपनी वेदना मैं
आँखों की भाषा स्वयं
खुद मुझमें बोलती हैं?

Language: Hindi
70 Likes · 405 Views
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