Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2017 · 1 min read

हा ये सच है कि गाँधी फिर आ नहीं सकते अहिंसा का पाठ पढ़ाने को…

हा ये सच है कि गाँधी फिर आ नहीं सकते अहिंसा का पाठ पढ़ाने को…
हा ये सच है कि अब बुद्ध आ नहीं सकते जीवन का मर्म समझाने को…

हा ये सच है कि राणा फिर आ नहीं सकते रण का जौहर दिखलाने को…
हा ये सच है कि अब प्रताप आ नहीं सकते फिर मेवाड़ बचाने को…

हा ये भी सच है आजाद–भगत फिर आ नहीं सकते देशप्रेम की ज्वाला धधकाने को..
हा सच है ये की अब बिस्मिल आ नहीं सकते आजादी के गीत रचाने को…

हा ये सच है सुभाष फिर आ नहीं सकते आजाद हिंद फौज बनाने को…
हा ये भी सच है अब कलाम आ नहीं सकते खुली आँखों से स्वप्न सुझाने को…

हा ये सच है रानी लक्ष्मी फिर आ नहीं सकती अपनी झाँसी के हित में रणचंडी बनने को…
हा ये भी सच है अब महारानी पद्मिनी आ नहीं सकती जौहर इतिहास दिखाने को…

सब सच है और सब इतिहास यही भारत की धरती का…
शून्य से लेकर इसरो तक इन सबको मन से दोहराया है…

हा सच है ये सब फिर आ नहीं सकते भारत को स्वर्णिम बनाने को…
पर ये भी सच है ये सब जीवित अंदर स्वर्णिम भारत का पथ दिखलाने को…

✍कुछ पंक्तियाँ मेरी कलम से : अरविन्द दाँगी “विकल”

Language: Hindi
385 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
Keshav kishor Kumar
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
SHAMA PARVEEN
*द लीला पैलेस, जयपुर में तीन दिन दो रात्रि प्रवास : 26, 27, 28 अगस्त 202
*द लीला पैलेस, जयपुर में तीन दिन दो रात्रि प्रवास : 26, 27, 28 अगस्त 202
Ravi Prakash
मीना
मीना
Shweta Soni
*** चल अकेला.....!!! ***
*** चल अकेला.....!!! ***
VEDANTA PATEL
एक नई उम्मीद
एक नई उम्मीद
Srishty Bansal
हों जो तुम्हे पसंद वही बात कहेंगे।
हों जो तुम्हे पसंद वही बात कहेंगे।
Rj Anand Prajapati
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
काले समय का सवेरा ।
काले समय का सवेरा ।
Nishant prakhar
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
Rekha khichi
तेरी यादों की खुशबू
तेरी यादों की खुशबू
Ram Krishan Rastogi
अधूरी सी ज़िंदगी   ....
अधूरी सी ज़िंदगी ....
sushil sarna
आजा माँ आजा
आजा माँ आजा
Basant Bhagawan Roy
शाम के ढलते
शाम के ढलते
manjula chauhan
समझना है ज़रूरी
समझना है ज़रूरी
Dr fauzia Naseem shad
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
कृष्णकांत गुर्जर
याद रे
याद रे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
💐प्रेम कौतुक-238💐
💐प्रेम कौतुक-238💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हमारी तुम्हारी मुलाकात
हमारी तुम्हारी मुलाकात
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
आंबेडकर न होते तो...
आंबेडकर न होते तो...
Shekhar Chandra Mitra
कातिल अदा
कातिल अदा
Bodhisatva kastooriya
क्या कर लेगा कोई तुम्हारा....
क्या कर लेगा कोई तुम्हारा....
Suryakant Dwivedi
संसार एक जाल
संसार एक जाल
Mukesh Kumar Sonkar
24/234. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/234. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
Manju sagar
इस धरती पर
इस धरती पर
surenderpal vaidya
देश हमारा भारत प्यारा
देश हमारा भारत प्यारा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कल भी वही समस्या थी ,
कल भी वही समस्या थी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...