Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2017 · 1 min read

” हम तो तुम्हरे दास हो गये ” !!

कमर कटीली ,
भुजदंड कसे !
है रूपगर्विता ,
मद छलके !
नटखट नज़रें ,
हमें छू गई –
हम खुशियों के पास हो गये !!

अरुणिम अधर ,
बोल मीठे !
यौवन के हैं ,
तीर कसे !
आँचर का यों ,
पल्लू थामा –
हम आम थे खास हो गये !!

गहनों का भी ,
भार लदा !
खुशियों ने है ,
तंज़ कसा !
वक़्त देखकर ,
फेरी नज़रें –
हम सचमुच उदास हो गये !!

Language: Hindi
Tag: गीत
531 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पल का मलाल
पल का मलाल
Punam Pande
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
Dr. Man Mohan Krishna
सन् 19, 20, 21
सन् 19, 20, 21
Sandeep Pande
हर कोरे कागज का जीवंत अल्फ़ाज़ बनना है मुझे,
हर कोरे कागज का जीवंत अल्फ़ाज़ बनना है मुझे,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
भुलक्कड़ मामा
भुलक्कड़ मामा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दूर रह कर सीखा, नजदीकियां क्या है।
दूर रह कर सीखा, नजदीकियां क्या है।
Surinder blackpen
अधीर मन
अधीर मन
manisha
"सच कहूं _ मानोगे __ मुझे प्यार है उनसे,
Rajesh vyas
तुम्ही बताओ आज सभासद है ये प्रशन महान
तुम्ही बताओ आज सभासद है ये प्रशन महान
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
🌹मेरी इश्क सल्तनत 🌹
🌹मेरी इश्क सल्तनत 🌹
साहित्य गौरव
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जब कोई बात समझ में ना आए तो वक्त हालात पर ही छोड़ दो ,कुछ सम
जब कोई बात समझ में ना आए तो वक्त हालात पर ही छोड़ दो ,कुछ सम
Shashi kala vyas
कभी कभी
कभी कभी
Shweta Soni
मेरी बेटियाँ
मेरी बेटियाँ
लक्ष्मी सिंह
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ज़िंदगी ख़ुद ब ख़ुद
ज़िंदगी ख़ुद ब ख़ुद
Dr fauzia Naseem shad
"नहीं मिलता"
Dr. Kishan tandon kranti
शिक्षक (कुंडलिया )
शिक्षक (कुंडलिया )
Ravi Prakash
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
Harminder Kaur
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
'अशांत' शेखर
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
Subhash Singhai
फर्ज़ अदायगी (मार्मिक कहानी)
फर्ज़ अदायगी (मार्मिक कहानी)
Dr. Kishan Karigar
23/102.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/102.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी इबादत
मेरी इबादत
umesh mehra
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
वन उपवन हरित खेत क्यारी में
वन उपवन हरित खेत क्यारी में
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
गांव के छोरे
गांव के छोरे
जय लगन कुमार हैप्पी
Loading...