Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2017 · 3 min read

स्त्री

स्त्री

महिला सशक्तिकरण, अबला नारी, नारी शक्ति पहचानो । कुछ अजीब सा लगता है मुझे ये सब । आज की नारी और पहले की नारी, क्या इसने अपनी शक्ति को आज तक नही पहचाना । यह तो वह नारी है जो हमेशा से अपनी शक्ति का दुरूपयोग करती आ रही है । हम कथा-कहानियों में पढ़ते हैं तो शायद हमें यकीन नही आता, मगर हम प्रत्यक्ष देखते हैं तब भी हमारी आंखों पर पट्टी बंध जाती है । आज हर घर में लड़ाई होती है नारी ही नारी की दुश्मन है । सास के साथ बहू की या फिर बहू के साथ सास की लड़ाई हम प्रत्यक्ष रूप से हर घर में देखते हैं । और फिर मुकदमा कोर्ट कचहरियों तक जाता है तो बेचारे पुरूषों के कंधों पर और भार आ जाता है । सारे दिन काम करते हैं शाम को घर आओ तो फिर वही क्लेष, सुबह काम पर जाने से पहले क्लेष । आखिर कब तक चलेगा । यह क्लेष । यदि भूले-बिसरे स्त्री को एकाध थप्पड़ मार भी दिया तो वे इस बात का बतंगड़ बना लेती हैं । और पहंुच जाती हैं थाने । बंद करा देती हैं अपने ही मर्द को । नारी में तो वो शक्ति है जो यदि इसे स्वतंत्र कर दिया जाये तो पूरे संसार को एक अकेली ही नष्ट कर सकती है । नारी की बु़िद्ध हमेशा उल्टी चलती है । धार्मिक ग्रंथों से लेकर आज इस कलयुग तक नारी हमेशा घर को उजाड़ती ही आई है । आज के नेता हो या किसी भी मिलीटरी के ऑफिसर भले ही हो और देश पर राज करते हों सेना को हुक्म देते हो मगर घर में उनपर उनकी बीबियों का राज है । अपनी पत्नी का हुक्म मानते है । रही सही कसर औरतों की हमारी सरकार ने पूरी कर दी, इनके लिए कानून बनाकर । ये कानूनों का धड़ल्ले से गलत प्रयोग कर रही हैं । इससे मुसीबत आ गई है बेचारे मर्दों पर । घर से किसी तरह से बीवी से माफी मांगकर बाहर निकलते हैं तो बाहर किसी औरत से उलझ जाते हैं । फिर चाहे गलती औरत की ही क्यों ना हो । चाहे गलती औरत की हो या मर्द की, जेल की चक्की तो बेचारे पुरूष को ही पीसनी पड़ती हैं । इसलिए मेरा विचार तो यही है कि इस बेचारी अबला नारी को हमारी सरकार ने और ज्यादा से ज्यादा शक्ति दे देनी चाहिए । ताकि ये आराम से रह सके । इसको इस प्रकार की शक्ति देनी चाहिए जैसे कि – हर पुरूष को सुबह से शाम तक काम करना चाहिए और शाम को पत्नी को अच्छी-अच्छी चीजें लाकर दें घर आकर घर का काम जैसे कि खाना बनाना बर्तन साफ करना आदि करे, फिर अपनी औरत के सोते समय पैर दबाए । जो पुरूष ऐसा काम नही करेगा उसकी औरत उसके प्रति न्यायालय के दरवाजे खटखटा सकती है । और न्यायालय के न्यायाधीश को उसकी बात माननी पड़ेगी । यदि वह नही मानेगा तो उसको भी कानून तोड़ने की ऐवज में कोई भी सजा दी जा सकती है । न्यायालय के न्यायाधीश को उसके पति के प्रति कड़ी से कड़ी सजा या जो उसकी पत्नी चाहती है वह सजा देनी होगी । उस पर वह पत्नी को सताने या मारने वाली धारा लगा सकता है । पत्नी चाहे तो अपने पति पर दहेज का आरोप भी लगा सकती है । वह यह चाह सकती है उसका पति उस पर अत्याचार करता है । वह अपने पति के साथ नही रहना चाहती । पति भी यही चाहे तो अच्छा है कम-से-कम जेल में उसे दाल-रोटी तो सुकून से मिल ही सकती है ।

Language: Hindi
476 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
दोहावली
दोहावली
Prakash Chandra
23/40.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/40.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हालात ही है जो चुप करा देते हैं लोगों को
हालात ही है जो चुप करा देते हैं लोगों को
Ranjeet kumar patre
नारी शक्ति का सम्मान🙏🙏
नारी शक्ति का सम्मान🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
Tushar Singh
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
पूर्वार्थ
देखिए आप आप सा हूँ मैं
देखिए आप आप सा हूँ मैं
Anis Shah
आह
आह
Pt. Brajesh Kumar Nayak
या रब
या रब
Shekhar Chandra Mitra
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
*मेरा वोट मेरा अधिकार (दोहे)*
*मेरा वोट मेरा अधिकार (दोहे)*
Rituraj shivem verma
छुट्टी बनी कठिन
छुट्टी बनी कठिन
Sandeep Pande
Please Help Me...
Please Help Me...
Srishty Bansal
तरस रहा हर काश्तकार
तरस रहा हर काश्तकार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
---- विश्वगुरु ----
---- विश्वगुरु ----
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
*देश भक्ति देश प्रेम*
*देश भक्ति देश प्रेम*
Harminder Kaur
जब -जब धड़कन को मिली,
जब -जब धड़कन को मिली,
sushil sarna
चुनौती
चुनौती
Ragini Kumari
अहसास
अहसास
Dr Parveen Thakur
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसा क्यों होता है
ऐसा क्यों होता है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरा न कृष्ण है न मेरा कोई राम है
मेरा न कृष्ण है न मेरा कोई राम है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
कुछ अनुभव एक उम्र दे जाते हैं ,
कुछ अनुभव एक उम्र दे जाते हैं ,
Pramila sultan
मस्ती हो मौसम में तो,पिचकारी अच्छी लगती है (हिंदी गजल/गीतिका
मस्ती हो मौसम में तो,पिचकारी अच्छी लगती है (हिंदी गजल/गीतिका
Ravi Prakash
हर लम्हा
हर लम्हा
Dr fauzia Naseem shad
हम आगे ही देखते हैं
हम आगे ही देखते हैं
Santosh Shrivastava
Loading...